Zorawar Tank: भारतीय सीमा पर आंख गड़ाए दुश्मन देशों की अब खैर नहीं है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन DRDO इस साल अप्रैल में भारत के स्वदेशी रूप से विकसित लाइट टैंक, ज़ोरावर को भारतीय सेना को सौंप सकता है. DRDO ने टैंक का विकास परीक्षण पहले ही शुरू कर दिया है.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा अधिकारियों ने कहा कि ‘अपने नए इंजन के साथ लाइट टैंक हमारे विकास सह उत्पादन भागीदार सुविधाओं में शुरू हो गया है. टैंक को 100 किलोमीटर से अधिक तक ले जाया गया है, और इस साल अप्रैल तक इसे भारतीय सेना को दिए जाने की उम्मीद है.’
इस हल्के टैंकों को जल्द सीमा की निगरानी के लिए भारतीय सेना को सौंपा जाएगा. रक्षा अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि नए इंजन के साथ हल्के टैंकों को 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक चला कर टेस्ट किया गया. DRDO कंपनी अपनी साझेदार लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ मिलकर हल्के जोरावर टैंक का उत्पादन कर रही है. इस हल्के टैंक को पहले रेगिस्तान और ऊंचाई वाले स्थानों पर परीक्षण के बाद दिसंबर तक भारतीय सेना को सौंपा जाना था, लेकिन जर्मनी से इंजन आपूर्ति में देरी के कारण परियोजना में देरी हुई है.
चीन का जवाब है यह टैंक
भारतीय सेना, निजी क्षेत्र की कंपनियों के सहयोग से, उच्च गुणवत्ता वाली हथियार प्रणालियों के उत्पादन के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण परियोजना का पूरा समर्थन कर रही है. विशेष रूप से, भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपनी गतिशीलता और युद्धाभ्यास क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लाइट टैंक परियोजना शुरू की है. यह कदम क्षेत्र में चीनी हल्के टैंकों की महत्वपूर्ण तैनाती की प्रतिक्रिया है.
भारतीय सेना ने चीन से संभावित खतरों से निपटने के लिए समान क्षमताओं के विकास का प्रस्ताव रखा, जिससे हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा परियोजना को मंजूरी मिल गई. DRDO चुनौतीपूर्ण ऊंचाई वाले इलाकों में तेजी से आवाजाही के लिए डिज़ाइन किए गए 25 टन के हल्के टैंक के निर्माण के लिए L&T के साथ साझेदारी कर रहा है. यह उपक्रम मेक इन इंडिया पहल का रिजल्ट है.