बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर एक बार फिर से एनडीए में शामिल हो गए हैं. नीतीश के इस कदम ने कई लोगों को भले ही हैरान किया हो, लेकिन महागठबंधन से नीतीश की नाराजगी के संकेत लगभग एक महीने पहले ही दिखाई देने लगे थे. वहीं 13 जनवरी को हुई ‘INDI’ अलायंस की बैठक के बाद नीतीश ने विपक्षी गठबंधन से रिश्ता खत्म करने का मन बना लिया था.
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार सीट बंटवारे की बातचीत खींचने को लेकर कांग्रेस से पहले से ही नाराज थे. हालांकि विपक्षी गठबंधन का समन्वयक बनाए जाने की उम्मीद के चलते वह इससे जुड़े रहे. इसके बाद INDIA अलायंस के घटक दलों की 13 जनवरी को हुई वर्चुअल मीटिंग में नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन छोड़ने का मन पक्का कर लिया था.
राहुल गांधी की बात पर भड़क गए थे नीतीश कुमार
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सीएम नीतीश राहुल गांधी की एक बात पर काफी भड़क गए थे और 10 मिनट पहले ही मीटिंग छोड़कर चले गए थे. सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने उस बैठक में कहा था कि वह विपक्षी गठबंधन के संयोजक के पद को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करेंगे. हालांकि कुछ ही देर बाद विपक्षी नेताओं ने बिहार के सीएम को ही बतौर संयोजक चुन लिया, लेकिन नाराज नीतीश ने यह पद सीधे-सीधे ठुकरा दिया. उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को संयोजक बनाए जाने की सिफारिश कर दी थी.
हालांकि, ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस प्रमुख का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी गठबंधन का अध्यक्ष चुन लिया गया. सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार ने उसी दिन इंडिया गठबंधन से रिश्ता तोड़ने का फैसला कर लिया था.
बीजेपी के खिलाफ विपक्षी नेताओं को एकजुट करने से लेकर कुछ महीने पहले पटना में इंडिया ब्लॉक की पहली बैठक की मेजबानी करने तक, यह लगभग साफ हो चुका था कि नीतीश कुमार की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं थीं. हालांकि उन्होंने हमेशा ही ऐसी आकांक्षाओं से इनकार किया था.
नीतीश ने बीजेपी के पास भेजा दूत
इसके बाद नीतीश कुमार के एक बेहद करीबी नेता ने केंद्र के एक वरिष्ठ मंत्री से संपर्क किया. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत के बाद उन्होंने नीतीश कुमार की ‘घर वापसी’ को हरी झंडी दे दी. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, बिहार बीजेपी के नेता एनडीए में नीतीश की वापसी कराने के लिए तैयार नहीं थे. ऐसे में इस मामले को सुलझाने के लिए बिहार के बीजेपी नेतृत्व को दिल्ली बुलाया गया.
नीतीश कुमार के ढुलमुल रवैये से वाकिफ बीजेपी ने सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, जो नीतीश कुमार के सबसे बड़े आलोचक हैं, को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार पर लगाम कसने के लिए आलाकमान ने ऐसा किया.
बीजेपी ने नीतीश से किया खूब मोलभाव
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बीजेपी ने इस बार नीतीश कुमार को साथ लेने से पहले काफी मोलभाव भी किया है. सूत्रों के मुताबिक, 2020 सरकार गठन के दौरान अपनाए गए फॉर्मूले के अनुसार, बिहार मंत्रिमंडल में बीजेपी का अधिक प्रतिनिधित्व होगा. हालांकि, गृह मंत्रालय सीएम नीतीश के पास ही रहेगा.